मधुमेह (Diabetes):
डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक रक्त में शर्करा का स्तर उच्च होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना, प्यास की बढ़ोतरी, और भूख में वृद्धि होती है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो मधुमेह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा, या मौत शामिल हो सकती है।गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है।
जब भी हम कुछ खाते हैं, तो वह भोजन ग्लूकोज में परिवर्तित होता है। अगर रक्त मे शर्करा का स्तर बढ़ता है और यह शर्करा अग्न्याशय, पेट के पास की अंतःस्रावी ग्रंथि द्वारा नियंत्रित होती है, जो इंसुलिन नामक एक स्राव जारी करती है। इंसुलिन रक्त शर्करा को कोशिकाओं में पंप करने और उन्हें ऊर्जा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोशिकाएँ स्वयं इस ऊर्जा को प्राप्त नहीं कर सकती हैं। इस तरह कोशिकाओं को ऊर्जा और गर्मी मिलती है।
लेकिन मधुमेह में, इंसुलिन या तो अग्न्याशय में उत्पन्न नहीं होता है या उत्पादित इंसुलिन की कमी होती है और शरीर इसे ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है और फिर निश्चित रूप से यह रक्त शर्करा को संग्रहीत करता है।

मधुमेह होणे के कारण:
व्यक्ति के अग्न्याशय में उत्पादित इंसुलिन उसके रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में विफल रहता है। किसी व्यक्ति के शरीर में कोशिकाएं इंसुलिन का जवाब नहीं देती हैं। या व्यक्ति का अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करता नहीं। रक्त मे से जो शर्करा कोशिकाओं को इंसुलिन पहुंचाता है, ठीक से काम नहीं कर रहा है और शरीर मूत्र के माध्यम से बढ़ी हुई शर्करा को बाहर निकालता है। इससे अधिक पसीना, अधिक प्यास, कम प्रतिकारशक्ती की वजह से व्यक्ति जल्दी कई बीमारियों का शिकार हो सकता है।
मधुमेह के प्रकार:
1) Type ।। Diabetes – इस प्रकार के मधुमेह में, व्यक्ति का शरीर अपने शरीर में निर्मित इंसुलिन का जवाब नहीं देता है और रक्त मे शर्करा कोशिकाओं तक पहुंचने के बिना रक्तप्रवाह में रहता है। कुछ गोलियां, आहार नियंत्रण और सामान्य से कम खाना लीजिये, मीठा, तैलीय, मसालेदार भोजन करना बंद कर दें, बैठा काम करना बंद कर दें। व्यक्ति के अग्न्याशय में उत्पन्न इंसुलिन अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकता है और व्यक्ति के मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। Type ।। Diabetes इसे मधुमेह कहा जाता है। यह लगभग 80 से 85% लोगों में पाया जाता है।
2) Juvenile / Childhood Diabetes – इस मामले में, व्यक्ति का अग्न्याशय इंसुलिन बनाने की प्रक्रिया में पूरी तरह से विफल हो जाता है। इसलिए कृत्रिम रूप से इंसुलिन इंजेक्शन दिया जाता है, आहार नियंत्रण और चलने या एरोबिक्स प्रकार के व्यायाम का उपयोग करके व्यक्ति को बढ़ी हुई शुगर को नियंत्रित करना पड़ता है। इस प्रकार का मधुमेह बच्चों में अधिक पाया जाता है, इसलिए इसे Juvenile / Childhood Diabetes भी कहा जाता है।

मधुमेह के रोगियों को कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण करने की आवश्यकता होती है
ग्लाइकोहेमोग्लोबिन H1c (HbA1c):
यह परीक्षण जो तीन महीनों में औसत रक्त मे शर्करा के स्तर को दिखाता है, इस परीक्षण के लिए खाली पेट (उपवास) या भोजन (पीपी) के दो घंटे बाद रक्त लेना अनिवार्य नहीं है! यह HbA1c यह परीक्षण बताता है कि या तो व्यक्ति को वर्तमान में मधुमेह नहीं है या व्यक्ति को मधुमेह है, तो व्यक्ति की शर्करा नियंत्रण में है या नहीं इसे समझा जा सकता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में HbA1c का स्तर आमतौर पर 4% से 6% होता है। यह मधुमेह वाले लोगों में 8% से 9% से नीचे होना चाहिए। 9% से ऊपर HbA1c का स्तर गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।
मूत्र (माइक्रोएल्ब्यूमिन्यूरिया):
जब मधुमेह नियंत्रण से बाहर हो जाता है, तो यह गुर्दे के कार्य को बाधित कर सकता है और निश्चित रूप से, उस व्यक्ति के जीवन काल को छोटा कर सकता है जो गुर्दे की विफलता से पीड़ित है। क्या प्रोटीन मधुमेह वाले व्यक्ति के मूत्र से जा रहा है क्या? इसे बार-बार देखना पड़ता है। Micro albuminuria यह परीक्षण दिखाता है कि मूत्र से कितना प्रोटीन उत्सर्जित हो रहा है। मधुमेह के रोगियों को उपवास और भोजन के बाद की शुगर के साथ हर तीन महीने में अपने मूत्र से प्रोटीन की जांच करवानी चाहिए। भले ही संक्रमण कम हो लेकीन कभी कभी ज्यादा व्यायाम के बाद जाँच की जाती है तो मूत्र में प्रोटीन पाया जाता है। इसे याद रखना पड़ता है। यदि मधुमेह वाले लोगों के मूत्र से प्रोटीन जा रहा हो तो यह एक संकेत है कि गुर्दे को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो रही हैं और यदि नजरअंदाज किया जाता है, तो गुर्दे की विफलता हो सकती है।
हृदय, मस्तिष्क और आंखों की जांच:
मधुमेह के कारण किडनी, दिल, मस्तिष्क और आंखों के कामकाज में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसमें एक एकल रक्त वाहिका भी है जो हृदय और नेत्र दोनों को रक्त की आपूर्ति करती है और वैकल्पिक रक्त की आपूर्ति की कमी के कारण इन दोनों अंग अचानक काम करना बंद कर सकते है। मधुमेह के कारण दिल का दौरा जोर से नहीं आता है लेकीन रोगी की मौके पर मृत्यू हो सकती है। रेटिना को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में रक्तस्राव होणे से समय के साथ अंधापन हो सकता है, जितना शुगर परीक्षण करते है उतना ही हृदय रोग के लिये ईसीजी, इको आदि के लिए किसी विशेषज्ञ के पास जाना चाहिये।
लीपिड्स कि जाचं:
मधुमेह से शरीर के समग्र चयापचय में परिवर्तन का कारण बनता है, जीससे वसा के चयापचय बिघड जाता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, एलडीएल इससे खतरनाक फैट के बढ़ने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, वर्ष में कम से कम 2-3 बार वसा की जांच करना महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर, मधुमेह एक छिपे हुए अपराधी की तरह शरीर में रहता है। यह नियंत्रण में है तो ठीक यदि नही, तो हृदय रोग, अंधापन, गुर्दे के विकार, मस्तिष्क विकार आदि हो सकते है।
मधुमेह मे रोगी अगर इच्छाशक्ति, आहार नियंत्रण, नियमित रूप से चलने वाले व्यायाम, व्यसनों से दूर, बैठ कर काम करणे वाली जीवन शैली को छोड देता है तो एक अच्छा, खुशहाल, स्वस्थ जीवन जी सकता है।
समय से पूर्व बुढापा:
जब रक्त मे शुगर बढता है, तो शुगर के अणु अमीनो एसिड के साथ मिलकर ग्लिसिकेशन बनाते हैं, जिससे त्वचा पर झुर्रियां पड़ती हैं। समय से पहले बुढ़ापा दिखाई देता है। कई उम्र से संबंधित बीमारियां ग्लिसिकेशन के कारण होती हैं।
कैंसर का खतरा:
रक्त मे शर्करा के स्तर अधिक होणे से अन्न नलिका मे कैंसर हो सकता है, डिम्बग्रंथि का कैंसर और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि शुगर से मोटापा बढ़ता है और मोटे लोगों को कैंसर होने की अधिक संभावना होती है!

ध्यान राखणे कि बाते:
जूते या चप्पल पहने बिना बाहर न निकले। हाथ ओर पैर के नाखून निकालने के लिये नेल कटर का इस्तेमाल करें रेझर का नही! उपर्युक्त परीक्षण करके, मूत्र में शर्करा, वसा, प्रोटीन आदि। इस पर नजर रखें। डॉक्टर से परामर्श करें। समय पर गोलियां, दवाइयां, इंसुलिन इंजेक्शन लें! सात्विक आहार ले! मीठे फल, मिठाई, न खाये, सात्विक आहार लगभग 80% ले!
मधुमेह को दूर रखने के नियम:
वर्तमान में मधुमेह का कोई इलाज नहीं है। लेकिन मधुमेह को नियंत्रण में रखने का मतलब है कि मरीज एक सामान्य जीवन जी सकता है। मधुमेह के उपचार के दो लक्ष्य हैं। पहला रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य स्तर पर रखना है और दूसरा मधुमेह से संबंधित विकारों को रोकना। आपके आहार मे, सात्विक भोजन, ताज़ा फल, ताज़ा सब्ज़ियां, अनाज, दालें, अंकुरित दालें, नट्स, बीज, शहद, जो सीधे प्रकृती से आपको मिलता हो वही आपको खाणे मे लेना है. सात्विक भोजन पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो शरीर को विटामिन, खनीज पदार्थ, एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन और फैट्स प्रदान करता है। ये सभी चीज़ें बीमारियों को दूर करके शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ावा देती हैं। मधुमेही रोगी को अपने वजन पर ध्यान देना चाहिये, जितना वो अपने वजन को नियंत्रित करते है उतना उनको फायदा मिलता है।
मधुमेही वाले लोग और सभी आम लोग जानते हैं कि अगर मधुमेह है तो मिठाई नही खाना चाहिये लेकिन वे यह नहीं जानते हैं कि नमकीन और खट्टा खाना भी सेहत के लिये हानिकारक है। अधिक कसैला, कड़वा और मसालेदार भोजन करें। मधुमेह रोगियों को ऐसे खाद्य पदार्थों को खाना चाहिए जो पचने में आसान हों और साथ ही फाइबर के साथ हों। तेजी से पचने वाले फल उदा। तरबूज, पपीता, बोर आदि जैसे फल। जो जल्दी पचते हैं और आंतों को साफ रखने में मदद करते हैं। आहार नियंत्रण- खाद्य पदार्थों में मिठाई, चॉकलेट, चीनी, केला, तले हुए खाद्य पदार्थ, सूखे मेवे, छोले, कस्टर्ड सेब आदि शामिल नहीं होने चाहिए। मधुमेह के मामले में, तरल पदार्थ लें। जैसे नींबू पानी, फलों का रस, सब्जियों का रस, सूप आदि। इससे मधुमेह को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
यदि आपको लगता है कि आपको मधुमेह नहीं होना चाहिए या यदि आप इसे नियंत्रित करना चाहते हैं, तो कुछ आसन जो आपको करणा चाहिये। अर्धमत्स्येन्द्रासन, उत्तानपादासन, मर्कटासन, शलभासन, भुजंगासन, धनुरासन, वज्रासन, शशांकासन, हंसासन, मयूरासन आदि। आसन के साथ-साथ ओंकार जप, दीर्घ श्वास, उच्छवास, अनुलोम-विलोम, कपालभाति, उद्दीयान बंध, अग्निसार धौति, शवासन, ध्यान, भ्रामरी आदि। क्रिया उपयोगी हैं।

घरेलू उपचार:
मेथी – मेथी के बीज और पाउडर – मेथी रक्त में इंसुलिन के स्तर को कम करती है, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है, और ग्लूकोज को नियंत्रित करती है।
लहसुन – ग्लूकोज और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।
प्याज – ग्लूकोज का स्तर कम रखता है। शरीर में इंसुलिन प्याज से मिल सकता है।
आयुर्वेदिक दवा:
“बीजीआर-३४” – छह प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं की मदद से निर्मित, बीजीआर -34 मधुमेह को नियंत्रित करने में सुरक्षित और प्रभावी है। यह दवा केंद्र सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के सहयोग से राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI), सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन एंड एरोमेटिक प्लांट्स (CIMAP) के सहयोग से विकसित की गई है। पाँच वर्षों के अथक प्रयासों और सफल नैदानिक परीक्षणों के बाद, दवा का निर्माण AIAMIL Pharmaceuticals India द्वारा किया गया था। यह दवा मधुमेह वाले लोगों के लिए उपयोगी हो सकती है।
मधुमेह रोगी के लिये परफेक्ट डायट चार्ट:
दिन भर में कम से कम 12 गिलास पानी पिएं।
सुबह उठने के बाद 1 गिलास गर्म पानी में आधा नींबू का रस मिलाकर पिएं।
सुबह की सैर के लिए जाना और व्यायाम करना।
सुबह लौटने पर 30 ग्राम भुनी हुई अलसी खा लें।
नाश्ते के लिए आप 400 ग्राम फल या अनाज ले सकते हैं।
1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच आंवला पाउडर लें।
खाना 12 बजे के पहले ले और खाणे मे 3 रोटी और 1 प्लेट चावल ले सकते है।
प्रतिदिन 30 प्रतिशत सलाद लेना आवश्यक है।
भोजन के 45 मिनट बाद जितना पानी चाहिए उतना पी लें।
रोजाना 1 कप बिट जूस जरूर लेना चाहिए।
यदि आप दोपहर का भोजन करना चाहते हैं, तो आप फल या फलों का रस ले सकते हैं।
शाम के खाणे के एक घंटे पहले 1 गिलास गर्म पानी में आंवला पाउडर पीएं।
रात के खाने के 1 घंटे बाद पानी पीना।
6 से 5 बजे कम से कम 8 ग्लास पाणी पिये, सोने तक कम से कम 4 गिलास पानी पियें।
सोने का सही वक्त 11 से 3 समय महत्वपूर्ण है।
अलसी तेल, जैतून तेल जैसे खाद्य तेल लेना चाहिए और नमक में सेंधा नमक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
अगर आपको गंभीर आजार है, तो आप डॉक्टर के सलाह अनुसार उपचार करे।
